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बाल साहित्य

मीठी-सी नोंक-झोंक

शादाब आलम


कुछ मीठी-सी नोंक-झोंक हैं
जो रिश्तों में रस घोलें।

खेल-खेल में, मुन्नी-मुन्ना
लड़ते हैं
एक-दूसरे से वे रूठा
करते हैं
लेकिन थोड़ी देर बाद फिर
साथ-साथ खेलें-बोलें।

मम्मी-पापा में छिड़ जाती
बहस अगर
तू-तू,मैं-मैं चलती रहती
घंटे भर
लेकिन बातों ही बातों में
दोनों फिर राजी होलें।

राम और रहमान, गहरे
हैं साथी
कभी-कभी उनमें भी अनबन
हो जाती
पर, वे मिलकर गले फटाफट
सभी गिले-शिकवे धोलें


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हिंदी समय में शादाब आलम की रचनाएँ